– राधेकृष्ण

देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों के पास अपना खुद का आवास हो और उसमें सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों, इस विजन के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी का 25 जून, 2015 को शुभारम्भ किया। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण एवं प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी एक सामुदायिक कल्याण योजना है। पहले इस योजना को वर्ष 2022 तक सबके लिए घर (हाउसिंग फॉर आल) उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ चलाया जा रहा था लेकिन देश की जनता के हित को ध्यान में रखकर इसे वर्ष 2024 तक बढ़ा दिया गया है। आठ दिसंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस योजना को वर्ष 2024 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया। 29 नवंबर, 2021 तक प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत कुल 2.95 करोड़ आवासों के लक्ष्य में से 1.65 करोड़ आवासों का निर्माण किया जा चुका है।

इस योजना के अंतर्गत देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले सभी गरीबों को तक आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। अपने देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाला एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है, जिसके पास अपना मकान नहीं है और वह आर्थिक तंगी की वजह से झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को विवश है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर गरीब देशवासियों के पास अपना पक्का मकान होना चाहिए। इन दोनों योजनाओं- प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत गरीबों को अपना आवास बनाने के लिए सरकार धन उपलब्ध करा रही है। इतना ही नहीं ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों को अपने आवास की मरम्मत के लिए भी आर्थिक मदद दे रही है। एक आकलन के अनुसार, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी में केंद्र सरकार की 439 अरब रुपये लगाने की योजना है।

हर किसी का यह सपना होता है कि उसका अपना घर हो। लेकिन हर कोई अपने घर का सपना पूरा नहीं कर पाता है। प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से अपना खुद का घर बनाने में अक्षम व्यक्ति अपना घर बनाकर अपने सपनों को पूरा कर सकता है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर केवल उन्हीं लोगों के लिए है जिनके पास अपना आवास नहीं है और वे वर्तमान समय में जिस पते पर रह रहे हैं उस पते पर कम से कम तीन वर्ष से रह रहे हों। इसके अलावा उनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए। परिवार की वार्षिक आय तीन लाख रुपये सालाना से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति की आयु 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत गरीबों एवं आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में तीन करोड़ और शहरी क्षेत्रों में दो करोड़ आवास देने का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में अब तक 43 लाख से अधिक आवास निर्मित या स्वीकृत किये जा चुके हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण एवं प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत 43 लाख से अधिक आवास बनाकर उत्तर प्रदेश, देश में पहले स्थान पर है। इस उपलब्धि के लिए केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश को पुरस्कृत किया है। कोविड-19 महामारी की वजह से यह दोनों योजनाएं प्रभावित हुई हैं और लक्ष्य से पीछे चल रही हैं। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रधानमंत्री आवास योजना ने, कोविड-19 महामारी की वजह से दूसरे राज्यों से वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों को उनके क्षेत्र में ही रोजगार उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई है। कोरोना काल में ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था बेपटरी नहीं हुई तो उसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी में लाखों प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिला। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को वर्ष 2024 तक जारी रखने से यह सुनिश्चित होगा कि 2.95 करोड़ आवासों के समग्र लक्ष्य के तहत शेष 155.75 लाख परिवारों को बुनियादी सुविधाओं से युक्त पक्के मकानों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में ‘सबके लिए आवास’ के उद्देश्य को पूरा किया जा सके।

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में झुग्गियों और झोपड़ियों में रहने वाले गरीबों को उसी जमीन पर पक्का आवास बनाकर देना है। इस योजना के अंतर्गत बनने वाले आवासों में सभी बुनियादी सुविधाएं जैसे- रसोई घऱ, शौचालय, जल की आपूर्ति, बिजली का कनेक्शन, रसोई गैस कनेक्शन, लाभार्थियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना से शहरी क्षेत्रों में बेतरतीब ढंग से बनी झुग्गी-झोपड़ियों से लोगों को निजात मिलने के साथ ही शहर की सूरत भी बदल रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी की खास बात यह है कि इससे महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिल रहा है क्योंकि इस योजना के अंतर्गत बनने वाले आवासों का स्वामित्व परिवार की महिला सदस्य या फिर संयुक्त नाम पर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में मैदानी क्षेत्रों में आवास बनाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये और पहाड़ी क्षेत्रों में आवास बनाने के लिए एक लाख 30 हजार रुपये दिए जाते हैं। सरकार की तरफ से लाभार्थियों को घर बनाने के लिए यह राशि चार किस्तों में सीधे बैंक खाते में दी जाती है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत लाभार्थी अधिकतम दो लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं। जिसमें ब्याज पर तीन प्रतिशत की सब्सिडी मिलती है। शहरी क्षेत्र में रहने वालों को घर बनाने के लिए नौ लाख रुपये तक के लोन पर चार प्रतिशत और 12 लाख रुपये तक के लोन पर तीन प्रतिशत की छूट मिलती है।

केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास विभाग और आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित इस योजना में समाज के कमजोर वर्गों के साथ ही विकलांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, एकल महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक. ट्रांसजेंडर को प्राथमिकता दी जाती है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण जहां ग्राम पंचायत क्षेत्रों में चलाई जा रही है वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी को संपूर्ण नगरीय क्षेत्र में संचालित किया जा रहा है। जिसमें वैधानिक नगर, विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, औद्योगिक विकास प्राधिकरण, अधिसूचित नियोजन क्षेत्र या राज्य विधान के अंतर्गत कोई भी प्राधिकरण जिसे नगरीय नियोजन का कार्य सौंपा गया है, को शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत प्रथम चरण में देश के 100 शहरों में गरीबों के लिए आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया था। दूसरे चरण में देश के 200 शहरों में गरीबों के लिए आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया। तीसरे चरण में देश के बाकी शहरों में गरीबों के लिए आवास बनाने का लक्ष्य है। इस पूरी योजना को वर्ष 2024 तक पूरा किया जाना है।

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