गर्मी का मौसम आते ही फूड पॉइजनिंग का खतरा सबसे अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि इस मौसम में खाने की चीजें जल्दी खराब होती हैं। इस मौसम में बाहर का खाना ताजा हो, यह नामुमकिन जैसी बात है। घर पर भी लोगों की बासी चीजों को खाकर खत्म करने की आदत होती है, जिसकी वजह से फूड पॉइजनिंग हो सकती है। फूड पॉइजनिंग के बैक्टीरिया काफी तेजी से फैलते हैं इसलिए जरूरी है कि मौसम के हिसाब से खाने-पीने की आदतों को बदला जाए, ताकि थोड़ी सावधानी बरतकर इससे बच सकें। फूड पॉइजनिंग को गैस्ट्रोएंट्राइटिस के नाम से भी जाना जाता है।
फूड पॉइजनिंग के कारण
फूड पॉइजनिंग के कई कारण होते हैं। यह आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस के कारण होती है। ये बैक्टीरिया या वायरस कई तरह से हमारे पेट में पहुंच सकते हैं, जैसे अधपका खाना खाने से या गंदे बर्तनों में पकाया गया खाना खाने से। ऐसे डेयरी प्रोडक्ट, जिन्हें उचित तरीके से फ्रिज में न रखा गया हो या लंबे समय तक उन्हें फ्रिज से बाहर रखा गया हो, भी फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं।
ऐसा ठंडा खाना खाने से भी फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है जिसे फ्रिज से निकालने के बाद दोबारा गर्म किए बगैर खाया गया हो। दो-तीन दिनों का रखा बासी खाना तो किसी भी मौसम में नुकसान पहुंचाता है और इस मौसम में और अधिक नुकसानदेह हो जाता है। खासकर इस मौसम में फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोए बगैर बिल्कुल भी नहीं खाएं, क्योंकि वे भी आपकी सेहत खराब कर सकते हैं। और इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि पीने का पानी बिल्कुल साफ हो।
खाने की चीजों को रखते वक्त इन बातों का ध्यान रखें
-सूखे मसाले, दाल आदि से भी फूड पॉइजनिंग हो सकती है। इनमें फंगस या बैक्टीरिया पनप सकते हैं, इसलिए इन्हें अच्छी तरह से रखें, ताकि इसमें नमी न हो।
-नमकीन, सूखे मसाले, नमक, दालों को एयरटाइट डिब्बों में रखें। खाना पकाते समय मसाले अलग चम्मच से निकालें। डिब्बे को सीधा कड़ाही के ऊपर रखकर न डालें। भाप से इनमें नमी आ सकती है और फफूंद लग सकती है। नमी के कारण मसालों में जाले भी पड़ सकते हैं। गीले हाथों से इन्हें छूने से भी बचें।
-मसालों और दालों की भी एक्सपायरी डेट होती है। पुराने मसालों में जाले और फफूंद जल्दी पड़ जाती है। इसलिए समय रहते इन्हें इस्तेमाल करें और तारीख निकल जाने के बाद फेंक दें।
-आटे या बेसन में भी जाली या फफूंद लग जाती है, जो आसानी से नजर नहीं आती। इन्हें भी एयर टाइट डिब्बे में रखें। अगर गूंधा हुआ आटा बच जाता है, तो उसे क्लिंग या एयरटाइट डिब्बे में बंद करके फ्रिज में रखें और एक दिन के अंदर इस्तेमाल करें।
-रोटी के लिए निकले परथन को आटे के डिब्बे में दुबारा न डालें। गीले आटे से परथन में नमी आ जाती है जिससे बाकी के आटे में भी नमी आ जाएगी और फफूंद लगने की आशंका होगी। कई बार इल्लियां भी पड़ सकती हैं।
-कुछ चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं और पता भी नहीं चलता, जैसे टमाटर, तरबूज, संतरा, दही, दूध आदि। ऐसे में टमाटर लाल के बजाय हरे खरीदें। ये धीरे-धीरे लाल होते रहेंगे और इस्तेमाल भी होते रहेंगे। दही और दूध फ्रिज में रखें, लेकिन जल्दी से खत्म भी कर दें। तरबूज और संतरे खाने से पहले उसकी महक चेक कर लें।
-खराब चीजों की गंध पहचानना सीखें। गर्मी में बाहर का दही और चटनी खाने से बचें। चाट और फुल्की में दही और चटनी के खराब होने का अहसास जल्दी नहीं हो पाता।
संक्रमण होने पर क्या करें
-जब हमारा शरीर फूड पॉइजनिंग से पीड़ित होता है, तो इन टॉक्सिन को बाहर निकालने के लिए अधिक पानी का इस्तेमाल करता है। इसलिए इस दौरान पानी पीते रहें, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
-यदि आपको उल्टी और दस्त हो रहे हैं, तो सिर्फ लिक्विड डाइट लें। ऐसी चीजों खाएं जिन्हें चबाना न पड़े।
-गुनगुना पानी पिएं। पेट का दर्द असहनीय हो तो डॉक्टर से सलाह लेकर अल्ट्रासाउंड कराएं।
-डायरिया और उल्टी की वजह से शरीर से पानी के साथ-साथ सोडियम, पोटेशियम और अन्य मिनरल भी कम हो जाते हैं। इसलिए पानी के साथ इलेक्ट्रॉल पाउडर लें।
-नमक और चीनी का घोल भी ऐसे में काफी फायदेमंद साबित होता है। स्पोर्ट्स ड्रिंक पीने से बचें।