नई दिल्ली, एजेंसी : 1,100 से अधिक शिक्षाविदों, लेखकों और नागरिक समाज से जुड़े सदस्यों ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कार्यवाहक कुलपति को पत्र लिखकर महाश्वेता देवी, बामा और सुकीरथरानी की रचनाओं को अंग्रेजी (ऑनर्स) पाठ्यक्रम में फिर से शामिल करने का अनुरोध किया है।

इस अनुरोध से कुछ दिन पहले ही विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के शिक्षकों ने ऐसा ही आग्रह किया था और ‘ओवरसाइट कमेटी’ पर पाठ्यक्रम का मसौदा तैयार करते समय “सभी लोकतांत्रिक और उचित प्रक्रियाओं का पूर्ण मजाक” बनाने का आरोप लगाया था।

नयी याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों में अरुंधति रॉय और विक्रम चंद्रा जैसे लेखक, अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और शबाना आज़मी, फिल्म निर्माता अडूर गोपालकृष्णन और आनंद पटवर्धन भी शामिल हैं।

इसमें कहा गया है, “बामा और सुकीरथरानी का निष्कासन स्पष्ट रूप से जातिवादी कृत्य है क्योंकि यह महिलाओं के लेखन संबंधी एक मुख्य पेपर में समकालीन दलित महिला लेखकों के साथ भेदभाव करता है… बिना किसी औचित्य के, दो मौजूदा दलित महिला लेखकों को हटाना राजनीतिक उपेक्षा का एक दुर्लभ उदाहरण है।’’

याचिका में यह प्रश्न किया गया है, “बामा और सुकीरथरानी दोनों समकालीन तमिल लेखक हैं, क्या भारत की क्षेत्रीय विविधता को दिल्ली स्थित एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाना और जानना महत्वपूर्ण नहीं है।”

विश्वविद्यालय ने 26 अगस्त को एक बयान में कहा था कि मौजूदा पाठ्यक्रम का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने से इसकी सामग्री की विविधता और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध विद्वानों की प्रमुख रचनाओं को शामिल करने के संदर्भ में “पाठ्यक्रम की समावेशी प्रकृति” सामने आती है।

 

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