नई दिल्ली/मुंबई, एजेंसी : केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह महाराष्ट्र में ताकतवर शुगर लॉबी को साधने में जुट गए हैं। मंगलवार को उन्होंने दिल्ली में राज्य की सहकारी चीनी मिलों को संजीवनी देने के लिए महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं के साथ बैठक की और संदेश दिया कि उनके साथ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा। इससे शुगर लॉबी से संबंधित उन नेताओं के चेहरे खिल उठे हैं जिन्होंने साल 2019 के ऐन चुनाव से पहले कांग्रेस-एनसीपी से नाता तोड़ दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे।
महाराष्ट्र की शुगर लॉबी कांग्रेस और एनसीपी के राजनीतिक रसूख का हिस्सा रही है। राज्य में सरकार चाहे कांग्रेस-एनसीपी की हो या भाजपा-शिवसेना की। शुगर लॉबी से जुड़े नेताओं का दबदबा हमेशा कायम रहा है। वर्तमान में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी महा विकास आघाड़ी सरकार में भी यही स्थिति है।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य की महा विकास आघाड़ी सरकार में शामिल 42 मंत्रियों में से 16 मंत्री शुगर लॉबी से जुड़े हैं। लेकिन, ठाकरे सरकार में सहकारी चीनी मिलों से संबंधित वह दिग्गज हाशिये पर चले गए हैं, जो भाजपाई हो चुके हैं। अब केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद अब उनमें भी निराशा के भंवर से निकलने की आस जगी है।
सहकारी क्षेत्र की शुगर लॉबी को शह देंगे शाह
मंगलवार को केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे पाटिल के नेतृत्व में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस, पूर्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल और हर्षवर्धन पाटिल जैसे दिग्गज नेताओं ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई। करीब पौने घंटा चली इस बैठक में शाह को बताया गया कि किस तरह से उनसे संबंधित सहकारी चीनी मिलों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस बैठक में सहकारी चीनी मिलों के 15 साल से प्रलंबित आयकर का मुद्दा और इथेनॉल की उत्पादन इकाई से लेकर एनपीए घोषित हुई चीनी मिलों के आर्थिक रूप से पुनरुद्धार को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि जो चीनी मिलें सत्ताधारी दल से संबंधित हैं उन्हें नियम से परे जाकर मदद की जाती है। लेकिन जिन चीनी मिलों को सहारे की जरूरत है उन्हें मदद नहीं मिलती। संकेत साफ है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अपने नेताओं को निराश नही होने देगा और शुगर लॉबी को केंद्र की शह दूरगामी संदेश होगी।
महाराष्ट्र में सहकारिता के अग्रदूत हैं भाजपा नेता विखे पाटिल के दादा
साल 2019 के चुनाव से करीब एक साल पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्वमंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल के दादा विठ्ठल राव विखे पाटिल महाराष्ट्र में सहकारिता के अग्रदूत कहे जाते हैं। उन्होंने अहमदनगर के लोनी में सबसे पहला सहकारी चीनी मिल शुरू किया था। इसके लिए उन्हें साल 1961 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। अब राधाकृष्ण विखे पाटिल इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
उसके बाद कांग्रेस के नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र में सहकारी चीनी मिलें शुरू की और धीरे-धीरे पश्चिम महाराष्ट्र शुगर लॉबी का गढ़ बन गया। कांग्रेस से अलग होने के बाद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने इसी लॉबी के दम पर सियासत में अपन सिक्का जमाया, लेकिन, वर्तमान में इस क्षेत्र के दूसरे बड़े खिलाड़ी पूर्व उपमुख्यमंत्री विजयसिंह मोहिते पाटिल और पूर्वमंत्री हर्षवर्धन पाटिल जैसे लोग भाजपा का हिस्सा हो चुके हैं।