नयी दिल्ली, एजेंसी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि तमिलनाडु के मछुआरों को श्रीलंकाई समुद्री सीमा में मारे जाने के मामले को भारत ने श्रीलंका के समक्ष मजबूती से उठाया है और स्पष्ट किया है कि ऐसी घटनाएं अस्वीकार्य हैं। जयशंकर ने यह बयान राज्यसभा में उस समय दिया जब तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने राज्य के चार मछुआरों को कथित दौर पर श्रीलंकाई नौसेना द्वारा बीच समुद्र में मारे जाने के मामले को उच्च सदन में उठाया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने इस मामले को श्रीलंकाई सरकार के समक्ष पुरजोर ढंग से उठाया है और विशेषकर यह मामला तो कतई स्वीकार्य नहीं है। इस बारे में श्रीलंकाई सरकार को स्पष्ट कर दिया गया है।’’ इस मामले का उठाते हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के तिरुची शिवा ने कहा कि तमिलनाडु के चार मछुआरों के गायब होने की 19 जनवरी को खबर आई और चार दिन के बाद श्रीलंकाई नौसेना ने सूचना दी कि उनके शव पाक खाड़ में बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई नौसेना ने दावा किया कि मछुआरों के नाव ने उनके जहाज में टक्कर मार दी थी। उन्होंने कहा कि मछुआरों पर बुरी तरह हमला किया गया और श्रीलंकाई नौसेना ने उनको मार डाला। शिवा ने कहा ‘‘..वास्तव में इन मछुआरों को बेहद क्रूरता से मारा गया था। यह पहली घटना नहीं है। पहले भी ऐसा हो चुका है। मछुआरों में भय का माहौल है। उनके मछली पकड़ने के लिए जाते समय उनके परिवार यह सोच कर आशंकित रहते हैं कि पता नहीं, अब मछुआरे जीवित आएंगे या नहीं।’’ उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना द्वारा अक्सर प्रताड़ित किया जाता है और और उन्हें इस पेशे को छोड़ने पर मजबूर किया जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस घटना की निंदा करने और यह सुनिश्चित करने की मांग की कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो। ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के एम थम्बीदुरई ने शिवा का समर्थन करते हुए इस घटना की निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक श्रीलंकाई नौ सेना ने हमला कर 245 मछुआरों की हत्या की है और यह सिलसिला चलता ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले श्रीलंकाई नौसेना द्वारा पहले भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया जाता था और भारत सरकार उन्हें वापस ले आती थी लेकिन अब उनकी हत्या कर दी जा रही है। यह निदंनीय है। दुरई ने बताया कि इस सिलसिले में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई के पलनीस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं विदेश मंत्री से आग्रह करता हूं वह आवश्यक कार्रवाई करें और प्रधानमंत्री ऐसी गतिविधियों की निंदा करें।’’ द्रमुक और अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि इस घटना की पुनरावृत्ति न हो। सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है और हर सरकार ने इसके समाधान के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार इस बारे में समुचित कदम उठाएगी।