नई दिल्ली : राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बाद मोदी सरकार ने विपक्ष को जवाब देने का इरादा साफ कर दिया है। इसी के मद्देनजर मोदी सरकार के आठ मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, प्रहलाद जोशी, मुख्तार अब्बास नकवी, भूपेंद्र यादव, अनुराग ठाकुर, अर्जुन मेघवाल और वी मुरलीधरन शामिल थे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस समेत विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत विपक्ष ने योजना के तहत सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाई। सदन की मर्यादा और गरिमा को चोट पहुंचाई। इसके लिए उन्होंने पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।
सबसे पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘देश की जनता इंतजार करती है कि उनसे जुड़े हुए विषयों को सदन में उठाया जाए। वहीं, विपक्ष का सड़क से संसद तक एकमात्र एजेंडा सिर्फ अराजकता रहा। घड़ियाली आंसू बहाने की बजाए इनको देश से माफी मांगनी चाहिए।’
विपक्ष सदन चलने नहीं देना चाहता था : जोशी
इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि मानसूम सत्र कल खत्म हुआ। पहले दिन से ही सदन को चलने नहीं दिया गया। टीएमसी ने पहले ही खुलासा कर दिया था कि सदन को वाशआउट करना है। इसके बाद भी हमारे वरिष्ठ नेताओं ने विपक्ष के साथ बात की और सदन चलने देने का निवेदन किया। हमने कहा कि मंत्रीमंडल विस्तार की वजह से जो नए मंत्री सदन में आए हैं, उन्हें परिचय देने दिया जाए। इसे भी नहीं होने दिया गया।
उन्होंने कहा कि कोरोना, कृषि, महंगाई पर चर्चा करने के लिए सरकार तैयार थी। हमने विपक्ष की ज्यादातर बातों को माना। जो भी उन्होंने कहा, हमने सब पर सहमति जताई। इसके बाद उन्होंने पेगासस पर चर्चा की मांग की। मैं कहना चहूंगा कि कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने तय कर लिया था कि इस बार सदन नहीं चलने देना है।
प्रहलाद जोशी ने कहा कि हमने हमेशा सरकार के बिलों के बारे में पहले ही विपक्ष को बताया। अब कहा जा रहा है कि बिना चर्चा के बिल पास कराए गए। कई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 2004-14 के बीच कई बिलों को बिना चर्चा के पास कराया गया। इसमें आंध्र प्रदेश का विभाजन भी शामिल है। राजस्थान, बंगाल समेत कई राज्यों में बिल ऐसे ही पास कराए जा रहे हैं। इसे भूलकर विपक्ष सरकार पर झूठा आरोप लगा रहा है।
विपक्ष के बर्ताव से उनकी सोच का पता चला : जोशी
उन्होंने कहा कि राज्यसभा में 4 तारीख को विपक्ष के 6 नेताओं ने शीशा तोड़कर अंदर आने की कोशिश की। इसमें एक महिला स्टाफ घायल हुई। बीते दिन टेबल के ऊपर चढ़कर मर्यादा को तार-तार किया गया। हंगामे का वीडियो को सोशल मीडिया पर जारी कर दिया गया है। यह जानते हुए भी कि दोनों सदनों में वीडियोग्राफी की मंजूरी नहीं है। घटना से विपक्ष की सोच का पता चलता है।
उन्होंने कहा कि राहुल ने कहा है कि लोकतंत्र की हत्या की गई है। देश की जनता सब जानती है। उन्होंने विपक्ष के रवैए को देखा है। हम सभापति से कार्रवाई की मांग करते हैं, ताकि आगे से ऐसा न हो। रही बात सरकार की, तो हम आज भी सबसे बात करने को तैयार है, चर्चा के लिए तैयार हैं।
योजनाबद्ध तरीके से सदन नहीं चलने दिया गया: गोयल
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज बहुत पीड़ा के साथ हम आपके पास आए हैं। इस सत्र में कई शर्मसार करने वाली घटनाएं हुईं। राज्यसभा में विपक्ष के व्यवहार से सदन की गरिमा टूटी है। सभापति की गरिमा को चोट पहुंचाई गई है। विपक्ष की मंशा तो पहले से ही साफ थी कि सदन नहीं चलने देना है। यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा था। मंत्री के हाथ से पेपर छीना गया। सस्पेंड होने के बाद माफी मांगने से इनकार किया गया। यह सब विपक्ष के असली चेहरे को दिखाता है।
उन्होंने कहा कि टेबल पर नाचना और रूल बुक फेंकना सदन की मर्यादा के खिलाफ है। हम सभापति से मिले और उनसे सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी स्टाफ तो किसी दल का नहीं होता। उसका फर्ज तो चेयर और सदन की गरिमा की रक्षा करना है। उनके साथ अभद्र बर्ताव किया गया। मार्शल को सुरक्षा बनाने के लिए तैनात करना पड़ा। इसका उपयोग विपक्ष ढोंग करने के लिए कर रहा है। मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए यह सब किया गया। हम इन शर्मनाक घटना की निंदा करते हैं और माफी की मांग करते हैं।
गोयल ने कहा कि कांग्रेस और आप के सांसदों ने देश के सामने जो शिष्टाचार की तस्वीर रखी है। आप सांसद दुर्व्यवहार करते हैँ, तो कांग्रेस सोसद उससे एक कदम आगे बढ़कर सदन की मर्यादा का अपमान करते हैं। इससे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आप देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। हमारे युवा क्या सीखेंगे?
उन्होंने कहा कि विपक्ष को जनता ने बार-बार सबक सिखाया है, एक बार फिर जनता उन्हें सबक सिखाएगी। ये डर रहे हैं जिस प्रकार से इन्होंने स्टाफ पर हमला किया, उस कार्रवाई से डरकर ये हमें धमकी देने की कोशिश कर रहे हैं।