नई दिल्‍ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से बातचीत की संभावना बरकरार रखी है। शनिवार को सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसानों का मसला बातचीत से ही दूर होगा। उन्‍होंने कहा कि किसानों को दिया गया सरकार का प्रस्ताव आज भी कायम है। मोदी ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि वे किसानों से केवल एक फोन दूर हैं। वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि सरकार विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के मसलों को वार्ता के जरिए सुलझाने की लगातार कोशिश कर रही है।

मीटिंग में पीएम मोदी ने कहा, “मैं वही दोहराना चाहता हूं जो नरेद्र सिंह तोमर ने किसानों से कहा है। उन्‍होंने कहा- हम आम सहमति पर नहीं पहुंचे हैं लेकिन हम आपको (किसानों) ऑफर दे रहे हैं और आप जाइए और इसपर विचार कीजिए। उन्‍होंने किसानों से कहा कि वह सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर हैं।” कोरोना महामारी के चलते सर्वदलीय वैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई।

बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लगभग सभी पार्टियों ने बैठक में हिस्सा लिया। विपक्ष ने मांग की है कि लोकसभा में बिल के अलावा चर्चा हो और सरकार इसके लिए सहमत है। विपक्ष ने किसानों के मुद्दे पर भी चर्चा की मांग की है इसके लिए भी सरकार सहमत हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जो प्रस्ताव दिया था, हम उस पर चर्चा के लिए तैयार है।

प्रह्लाद जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच 11वीं दौर की वार्ता में, हमने कहा कि सरकार कभी चर्चा के लिए तैयार है। कृषि मंत्री ने किसानों से कहा था कि वह सिर्फ एक फोन कॉल दूर है, जब भी आप फोन करेंगे वह चर्चा के लिए तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की एक प्रतिमा को अमेरिका में (कैलिफोर्निया में) तोड़फोड़ हुई है। यह बहुत बड़ा अपमान है। पीएम ने इसकी कड़ी निंदा की है। सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय, शिवसेना सांसद विनायक राउत, और सिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भांडेर ने किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया। जेडीयू सांसद आरसीपी सिंह ने कानूनों का समर्थन किया।

बजट सत्र के लिए बुलाई गई थी मीटिंग

प्रदर्शनकारी किसानों की मांग यही है कि सरकार इन कानूनों को रद्द कर दें, लेकिन सरकार ने इसके समर्थन में कोई बात नहीं कही है। किसान आंदोलन और संसद के कामकाज को ध्यान में रखते हुए, बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। शुक्रवार को लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने नेताओं संग एक बैठक की थी। उन्‍होंने लोकसभा में सभी दलों के नेताओं से सदन की गरिमा का सम्मान करने का अनुरोध किया।

नए दशक के पहले बजट सत्र का शुक्रवार को राष्ट्रपति ने संसद में ऐलान किया। कुल 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के इस अभिभाषण का बहिष्कार किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फिर से कहा कि सरकार को किसानों के आंदोलन के बारे में समाधान ढूंढ़ना चाहिए। कांग्रेस के साथ 17 विपक्षी दलों ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए राष्ट्रपति कोविंद के संबोधन का बहिष्कार करने की घोषणा की थी।

 

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