नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई और इन मामलों में तेज गति से जांच कराए जाने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका शीघ्र सूचीबद्ध करने के आग्रह पर विचार करने के लिए बुधवार को सहमत हो गया।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र विजय हंसारिया के इस अभ्यावेदन पर गौर किया कि याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की आवश्यकता है।
हंसारिया ने कहा कि मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों एवं विधान परिषद के सदस्यों के खिलाफ लंबित मामलों की जानकारी देते हुए एक नवीनतम रिपोर्ट अदालत को सौंपी गई है तथा लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निपटारे के लिए तत्काल एवं कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम देखेंगे।’’
रिपोर्ट के अनुसार, सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित हैं, जिनमें 1,899 मामले पांच वर्ष से अधिक पुराने हैं।
इसमें बताया गया है कि दिसंबर 2018 तक कुल लंबित मामले 4,110 थे और अक्टूबर 2020 तक ये 4,859 थे।
अधिवक्ता स्नेहा कलिता के माध्यम से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘चार दिसंबर 2018 के बाद 2,775 मामलों के निस्तारण के बावजूद सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामले 4,122 से बढ़ कर 4984 हो गये। इससे पता चलता है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले और भी अधिक लोग संसद और राज्य विधानसभाओं में पहुंच रहे हैं। यह अत्यधिक आवश्यक है कि लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाए जाएं।’’
सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने तथा सीबीआई एवं अन्य एजेंसियों द्वारा शीघ्रता से जांच कराने के लिए भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर न्यायालय समय-समय पर निर्देश दे रहा है।
हंसारिया ने कहा कि उच्च न्यायालयों द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट से भी प्रदर्शित होता है कि कुछ राज्यों में विशेष अदालतें गठित की गई हैं जबकि अन्य में संबद्ध क्षेत्राधिकार की अदालतें समय-समय पर जारी निर्देशों के आलोक में सुनवाई कर रही है।