नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) का डाटा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) के पास जमा करे। शीर्ष अदालत ने यह निर्देश इसलिए दिया है ताकि आयोग इसकी जांच कर सके और स्थानीय निकायों के चिनावों में उनकी प्रस्तुति के लिए सिफारिशें दे सके। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एसबीसीसी को भी निर्देश दिया है कि वह राज्य सरकार से जानकारी मिलने के दो सप्ताह के अंदर संबंधित अधिकारियों के पास अंतरिम रिपोर्ट जमा करे।

न्यायाधीश एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘महाराष्ट्र ने इस अदालत ने अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित पहले से उपलब्ध डाटा के आधार पर चुनाव की अनुमति मांगी है। डाटा का परीक्षण करने के स्थान पर उचित कदम यह होगा कि इसे राज्य की ओर से नियुक्त एक समर्पित आयोग के सामने पेश किया जाए जो इस बात की जांच कर सके कि यह कितना सही है। अगर आयोग को उचित लगता है तो वह सुधार के लिए सिफारिशें दे सकता है जिनके आधार पर आगे उचित कदम उठाए जाएं।’

हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की ओर से सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए तैयार की जाने वाली सूची केंद्र की ओर से की गई जनगणना से स्वतंत्र होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट के 15 दिसंबर के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया है। इस आदेश में राज्य चुनाव आयोग को स्थानीय निकायों की ओबीसी आरक्षित 27 फीसदी सीटों को सामान्य घोषित करने का निर्देश दिया गया था।

महाराष्ट्र सरकार ने कहा, आयोग को उपलब्ध करा चुके हैं डाटा

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाड़े ने कहा कि सकार के पास कुछ डाटा है जिसके आधार पर आरक्षण बरकरार रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मार्च में चुनाव होने हैं और डाटा पहले ही आयोग को उपलब्ध कराया जा चुका है। उन्होंने कहा, ‘शीर्ष अदालत को आयोग से कहना चाहिए कि वह दो सप्ताह में रिपोर्ट जमा करें ताकि हम मार्च में होने वाले चुनावों को लेकर काम को शुरू कर सकें। अन्यथा की स्थिति में समुदाय का एक बड़ा वर्ग प्रतिनिधित्व से वंचित रह सकता है।’

 

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