नयी दिल्ली, एजेंसी।  केंद्र ने बुधवार को उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के अंतर्गत चल रहे कार्य के आसपास के इलाके में दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को ‘कुछ नहीं हो रहा’ है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा से विरासत संपत्तियों के संरक्षण की मांग वाली बोर्ड की याचिका तीन सप्ताह के लिए स्थगित करने का आग्रह किया और कहा कि यह ‘लंबी योजना’ है और जिस संपत्ति को लेकर सवाल किया गया है, वहां तक पुनर्विकास परियोजना नहीं पहुंची है। याचिका में बोर्ड ने कहा था कि उसकी संपत्ति के प्रभावित होने की आशंका है।

केंद्र की ओरर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘‘ कृपया इसे तीन सप्ताह के लिए स्थगित करें। इन संपत्तियों को कुछ नहीं हो रहा है। मेरे जानकार मित्र (याचिकाकर्ता) निश्चिंत हो सकते हैं। हम आपके समक्ष हैं। यह एक लंबी योजना है और हम किसी भी तरह से इसके निकट नहीं पहुंचे हैं।’’

अदालत ने इस मामले की सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए यह कहते हुए स्थगित कर दी कि उसे सॉलिसिटर जनरल पर ‘पूरा विश्वास’ है और उसने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करनेवाले वरिष्ठ वकील द्वारा इस बयान को रिकॉर्ड पर लेने के आग्रह को ठुकरा दिया।

दिल्ली वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष कर रहे थे। बोर्ड ने अपनी याचिका में पुनर्विकास परियोजना कार्य वाले इलाके में अपनी छह संपत्तियों के संरक्षण का आग्रह किया है। इसमें मानसिंह रोड पर मस्जिद जाब्ता गंज, रेड क्रॉस रोड पर जामा मस्जिद, उद्योग भवन के समीप सुनहरी बाग रोड मस्जिद, मोतीलाल नेहरू मार्ग के पीछे मजार सुनहरी बाग रोड, कृषि भवन परिसर के भीतर मस्जिद कृषि भवन और उप राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास के भीतर स्थित मस्जिद वाइस प्रेसिडेंट शामिल है।

याचिका में यह दावा किया गया कि ये छह संपत्तियां ‘सामान्य मस्जिद से कहीं ज्यादा हैं और इनके साथ विशिष्टता जुड़ी हुई’ है। याचिका में कहा गया कि न तो ब्रिटिश सरकार और न ही भारत सरकार ने इन संपत्तियों पर धार्मिक परंपराओं के पालन में कोई बाधा पहुंचाई और यह हमेशा संरक्षित रहीं।

 

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