नई दिल्ली, एजेंसी : सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रेस कांफ्रेंस कर विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा में 2 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, इसमें से एक संसद की नई बिल्डिंग के निर्माण से जुड़ा है तो दूसरा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट है। इन दोनों में कुल मिलाकर 1300 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है।
विपक्ष इस पर सवाल उठा रहा है, कह रहा है कि इस प्रोजेक्ट को रोककर उन पैसों से वैक्सीन खरीदनी चाहिए। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि इस प्रोजेक्ट का वैक्सीन पॉलिसी से कोई लेना देना नहीं है। उसके लिए 35 हजार करोड़ का बजट रखा गया है। वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए पैसे की कमी नहीं है। पुरी ने महाराष्ट्र में बन रहे सचिवालय पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वहां सचिवालय और विधायकों के लिए निवास बन रहे हैं, उसमें 900 करोड़ खर्च हो रहे हैं, जबकि ये तो देश की संसद से जुड़ा मसला है। संसद में सदस्यों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। जब तय सीटों से ज्यादा सदस्य हो जाएंगे, तब हम क्या करेंगे?
मीरा कुमार ने लिखा था पत्र
पुरी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से ऐतिहासिक इमारतों को कई नुकसान नहीं पहुंचने वाला है। 2012 में जब मीरा कुमार लोकसभा स्पीकर थीं, तब उनके सेक्रेटरी ने विकास मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा था। पत्र में लिखा था कि संसद का नया भवन बनना चाहिए और इस पर निर्णय लिया जा चुका है। मुझे याद है कि तब वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 2012 में आर्टिकल लिखा था कि हमें नए संसद भवन की सख्त जरूरत है। महामारी के बहुत पहले ही ये फैसला ले लिया गया था। बल्कि, ये मांग तो राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के समय से की जा रही है।
केंद्र ने की थी हर्जाना लगाने की मांग
इससे पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था। इसमें केंद्र ने याचिका खारिज करने और याचिकाकर्ता पर हर्जाना लगाने की मांग की थी। केंद्र ने कहा था कि प्रोजेक्ट का काम रोकने के लिए जनहित का बहाना बनाया गया है। याचिका कानूनी प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग है। यह इस प्रोजेक्ट को लटकाने का एक और प्रयास है। हलफनामे में केंद्र ने बताया था कि डीडीएमए (दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) ने 19 अप्रैल 2021 को एक आदेश जारी किया था। इसके मुताबिक, कर्फ्यू काल में उन जगहों पर निर्माण कार्य जारी रखा जा सकता है, जहां मजदूर उसी साइट पर रह रहे हों। यहां 19 अप्रैल से यहां 400 मजदूर काम कर रहे थे। फिलहाल 250 मजदूर काम कर रहे हैं। वे वहीं रह रहे हैं।