नई दिल्ली : राजनीतिक पार्टियों को घोषणा पत्र के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि राजनीतिक दलों को चुनावी वादों के प्रति जवाबदेह बनाने और घोषणापत्र को विनियमित करने के लिए निर्देश दिया जाए। अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे की ओर से दायर इस याचिका के तहत कहा गया है कि घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा न करने पर राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह को जब्त करने के साथ उनकी मान्यता को भी रद्द किया जाए।
केंद्र व चुनाव आयोग ने नहीं उठाए कोई कदम
याचिका में कहा गया है कि केंद्र और चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के घोषणापत्र को विनियमित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को हवा-हवाई वादे करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे वित्तीय संकट खड़ा होता है और जनता की जेब पर बोझ पड़ता है।
आम आदमी पार्टी ने पूरा नहीं किया वादा
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि, आम आदमी पार्टी ने 2013, 2015 और 2020 के चुनावी घोषणापत्र में जनलोकपाल बिल का वादा किया था, लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा ऐसा सभी राज्यों में हो रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र को विनियमित करने के लिए कोई कानून ही नहीं बनाया है और न ही इसके लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि, भारतीय जनता पार्टी भी समान नागरिक संहिता को लागू करने का वादा बार-बार कर रही है।