बरेली  : बरेली मंडल की राजनीतिक जमीन उन नेताओं को भी पसंद आ चुकी, जो राष्ट्रीय फलक तक चमक बिखेर चुके। उन्होंने इधर का रुख किया तो जनता ने सिर माथे पर बैठाया। इनमें मुलायम सिंह यादव, मायावती के नाम शामिल हैं, जोकि बाद में मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए। पंडित गोविंद बल्लभ पंत बरेली की संयुक्त सीट से दो बार चुने गए। इस दौरान वह संयुक्त प्रांत के मुख्यमंत्री बने। नारायण दत्त तिवारी का भी बरेली जिले से जुड़ाव रहा। उत्तराखंड अलग राज्य बनने से पहले उनकी राजनीति का केंद्र यहां होता था। नैनीताल की ओर जाने वाली सड़कें और जिले में बड़ी उद्यम इकाइयां स्थापित करने में नारायण दत्त तिवारी के योगदान को शहर के लोग अभी भी याद करते हैं। उन्होंने जिले से विधानसभा चुनाव तो नहीं लड़ा मगर, नैनीताल संसदीय सीट से जीते तब उसमें बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र शामिल था।

मुलायम और माया को रास आया था बदायूं

जिले से सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बसपा मुखिया मायावती भी चुनाव जीत चुकी है। वर्ष 1996 के चुनाव में मुलायम सिंह सहसवान से मैदान में उतरे थे। वह 81,370 वोट पाकर जीते। हालांकि बाद में त्यागपत्र देकर केंद्रीय रक्षामंत्री बने थे। इसके बाद 2004 में मुलायम सिंह गुऔर विस सीट से 1,52,213 बोट पाकर जीते। तब गुऔर बदायूं जिले में था। अब भी यह गुऔर विधानसभा बदायूं लोकसभा का हिस्सा है, लेकिन शामिल सभल जिले में है। 1996 में ही बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती बिल्सी से चुनाव लड़ी और 47 473 वोट पाकर विधायक निर्वाचित हुई। भाजपा के योगेंद सागर ने 44,958 वोट हासिल किए थे।

शाहजहांपुर में पंत व मुलायम सिंह जीत चुके चुनाव

पं. गोविंद बलभ पंत वर्ष 1937 व 1946 में शाहजहांपुर नगर की संयुक्त सीट से विधानसभा चुनाव जीते थे। उस समय अंग्रेजी सत्ता के अधीन चुनाव होते थे। दोनों बार वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। पहली बार में उन्हें 4,910 मत प्राप्त हुए। जबकि दूसरी बाद 12,219 मत मिले थे। वह संयुक्त प्रांत के सीट में बरेली, बदायूँ व पीलीभीत शामिल थी। तिलहर विधानसभा सीट पर वर्ष 1991 में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव जनता पार्टी से चुनाव जीतकर विधायक बने। हालांकि बाद में उन्होंने यह सीट छोड़ दी। मुलायम सिंह यादव को 34,855 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस के वीरेंद्र प्रताप सिंह मुन 24,533 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। पं. गोविंद बल्लभ पंत मुख्यमंत्री बने।

 

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