लखनऊ : राज्यसभा चुनाव से लेकर विधानसभा तक में संकट के समय भाजपा का साथ देने वाले विपक्षी दलों के विधायकों का पार्टी विधानसभा चुनाव में टिकट देकर कर्ज उतारेगी। राज्यसभा चुनाव 2018 में उन्नाव के पुरवा से बसपा विधायक अनिल सिंह ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था।
इसी तरह राष्ट्रीय लोकदल के एक मात्र विधायक सहेंद्र रमाला ने भी पार्टी के खिलाफ जाकर भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया था। हरदोई से सपा विधायक नितिन अग्रवाल ने भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। जबकि रायबरेली के हरचंद्रपुर से कांग्रेस विधायक राकेश प्रताप सिंह और रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने संविधान दिवस के उपलक्ष्य में लगातार 36 घंटे तक चली विधानमंडल की कार्यवाही में पार्टी के खिलाफ जाकर भाजपा का समर्थन किया था।
भाजपा ने हाल ही नितिन अग्रवाल को विधानसभा उपाध्यक्ष निर्वाचित कराया है। उन्हें आगामी चुनाव में हरदोई से टिकट देने पर सहमति बन गई है। वहीं बसपा विधायक अनिल सिंह भाजपा से टिकट दिया जा सकता है। रालोद विधायक सहेंद्र रमाला ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने उनसे किया वादा पूरा नहीं किया। उन्हें न तो मंत्रिमंडल में और न ही किसी आयोग या बोर्ड में पद दिया गया। अब उन्हें टिकट देने पर विचार किया जा रहा है।
रायबरेली से प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं दिनेश प्रताप सिंह व अदिति सिंह
कांग्रेस विधायक राकेश प्रताप सिंह के भाई दिनेश प्रताप सिंह को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में रायबरेली से कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने उम्मीदवार बनाया था।
अब विधानसभा चुनाव में राकेश और रायबरेली से अदिति सिंह को भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ाने की तैयारी है। हालांकि विधानसभा चुनाव में प्रत्येक सीट पर प्रत्याशी चयन गहन मंथन के बाद भाजपा का संसदीय बोर्ड करेगा।
