BUDAUN SHIKHAR

कानपुर

रिपोर्ट- हरी ओम गुप्ता


जहां कभी स्वतंत्रा की चिंगारी फूटी थी, जिस मिट्टी के कण-कण में देश के लिए प्राण न्योछावर करने की सुंगन्ध भरी है। कानपुर की ऐतिहासिक नगरी बिठूर, जहां श्रीमंत बाजीराव पेशवा उनके दततक पुत्र नानाराव पेशवा और हमारी छबीली मनू– हमारी महारानी रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल फूंका था आज उन्ही के किले पर बनी सिंह नाम से महाबली ने कब्जा लिया है। वह रानी के किले पर कब्जा कर उसमें निवास बनाकर रह रहा है। इतना ही नही किले को नष्ट करते हुए वहां क्लब बनवा रहा है। केडीए ने क्लब निर्माण को रूकवा दिया है लेकिन इससे कुछ नही होने वाला।
बनी सिंह धन और बाहुबल से मजबूत है, विधायक और बडे-बडे अधिकारियों को वह कुछ समझता नही है। सूत्र बताते है कि एक विधायक जी ने भी उनसे हाथ मिला लिया है। तात्या टोपे, महायोद्धा मैनावती, आजादी के दिवाने अजीम उल्ला खां, गोरी पंत जैसे महानाको की यह धरती आज बनी सिंह की गुलाम हो गयी। अंग्रेजो की गुलामी के बाद आज भी किले को आजादी नही मिली। प्रशासन मौन है। बिठूर एतिहासिक के साथ धार्मिक नगरी भी है यहां हमारी मां सीता रही। यह धरती लव-कुश की जननी है। यहां लव-कुश ने घुटनो पर चलकर युद्ध के कौशल सीखे है। बनी सिंह इस किले को अपनी सम्पत्ती साबित करने पर तुला है उसका मत है कि उसके वंशजो में राजा निरजन सिंह ने इस किले को तात्या टोपे को दिया था जबकि मेरी जानकारी में इतिहास में ऐसा कुछ नही है। आप सभी से निवेदन है कि इस सम्बन्ध में आवाज उठाये, अपने स्तर पर सच्चाई पता करे, सामाजिक, धार्मिक संगठनो को बताये उन्हे जागरूक करे और रानी जी के किले को बचाये, हमारी, देश की धरोहर को बचाये। अभी यह महज जानकारी के आधार पर है। आगे और भी जानकारी के लिए प्रयास जारी है।

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