बदायूँ : उझानी मे मेरे राम सेवा आश्रम पर एक माह तक चलने वाली श्री राम कथा महोत्सव पन्द्रहवें दिन रवि जी समदर्शी महाराज ने सुनाया भगवान ने ताड़का वध किया, मारीच को बिना फल का बाण मार कर सात समुद्र पार पहुंचा दियातब विश्वामित्र जी को विश्वास हुआ कि यह अनंत कोटि ब्रह्मांड के नायक भगवान विष्णु के अवतार हैं। उन्होंने जितना जो कुछ था उनके पास सब प्रकार की विद्याएं भगवान के चरणों में रख दी समर्पित कर दी एक ऐसी विद्या भी थी जिससे भूख और प्यास नहीं लगती।
दूसरे दिन प्रातः जनक जी के बुलावे पर भगवान लखन भगवान और लखन विश्वामित्र जी के साथ जनकपुरी की ओर चलते हैं रास्ते में एक आश्रम दिखा जहां जीव जंतु पशु पक्षी यहां तक की पौधे भी सुख गई थी भगवान ने पूछा यह किसका आश्रम है कौन सा स्थान है तब विश्वामित्र जी ने अहिल्या की समस्त कथा सुनाई और कहा है राघव और कहा हे राघव इसका उधर करो भगवान ने कहा यह नारी है श्रापित है गुरुदेव ने कहा आप भी तो नई बन चुके हैं आपका तो पूरा खानदान श्रापित है ऐसा लगता है आज गुरु शिष्य के बचाव में वकील बन गया हो गुरुदेव ने कहा मैं तुम्हारी परीक्षा लेता हूं एक समय में भक्त प्रहलाद ने पत्थर से भगवान को प्रकट किया आज तुम्हें पत्थर से भक्ति प्रकट करना होगा तब भगवान ने अपना दाहिने दाहिना चरण बढ़ाया और अहिल्या के शीश पर रख दिया गोस्वामी जी कहते हैं जैसे ही शीश पर पर रखा उसमें से एक सुंदर नारी प्रकट हो गई जो अहिल्या थी हाथ जोड़ रही है प्रेम से अधीर है नेत्रों में जल है मुख बंद है कुछ बोल नहीं पा रही है स्वयं को बड़ा भारी बढ़कर भगवान के चरणों को नेत्र से निकले जल्द से धो दिया और कहने लगी मैं नारी हूं उसमें भी अपावन और आप करुणालु है दयालु है आप सबके भाई को दूर कर भाव निर्मित करते आपके दर्शन करके भगवान शंकर खुद लाभ प्राप्त करते मुझे अनायासी आपकी कृपा और दर्शन प्राप्त हुए हे प्रभु मेरी विनती है कि मेरा मन रूपी भंवरा जन्म-जन्मांतर आपके चरणों का के रस का पान करता रहे इस प्रकार गौतम जी की पत्नी अहिल्या बार-बार भगवान के चरणों में गिरती है भगवान ने कहा देवी मांग लो क्या चाहिए तुम बोली मुझे कुछ नहीं चाहिए भगवान ने कहा नहीं कुछ तो लेना ही पड़ेगा तब उन्होंने कहा मुझे ना बैकुंठ चाहिए ना स्वर्ग चाहिए मुझे पति लोग चाहिए और जब भी मेरा जन्म हो गौतम ऋषि जैसे ही पति मिले क्योंकि उनके श्राप के कारण ही तो आपके दर्शन हुए हैं तब वहां से मेरे प्रभु अहिल्या का उद्धार करके आगे बढ़े आगे बढ़कर बैठ गए बोले गुरुदेव मैं बहुत बड़ा पाप कर दिया अब मुझ पर चला नहीं जाता
विश्वामजी बोले राघव क्यों बैठ गए क्या हुआ भगवान बोले अब मैंने बहुत पाप कर दिया एक नारी के शीश पर और अपना पर खुले कैसी बात करते हो बोले प्रभु मुझे इस पाप से मुक्ति का कोई रास्ता बताइए तब विश्वामित जी ने कहा अपने पैर का धोबिन शीश पर डाल दो इस पाप से मुक्त हो जाओ और गंगा जी की ओर ले गए गंगा जी की बहुत-बहुत प्रकार से कथाएं सुनाई है गंगा जी के महिना महिमा का गण किया है और कहां राघव यह तुम्हारे यह तुम्हारे परिवार की ही देन है जो पृथ्वी पर गंगा आज सबको पाप मुक्त श्राप मुक्त करती भागीरथ जी गंगा जी को पृथ्वी पर लेकर आए बहुत प्रकार से गंगा की कथाएं सुनाएं गंगा को प्रणाम करके गंगा की पूजा करके भगवान गुरुदेव के साथ बड़े हैं आगे और जनकपुरी के बैग में चलकर ठहरते हैं जनकपुरी ज्ञानियों की नगरी है जनकपुरी भक्तों की नगरी है भक्ति का क्षेत्र और भगवान को भक्ति के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता जैसे ही राजा जनक ने सुना गुरुदेव वशिष्ठायें हैं दौड़कर सदानंद जी जो अहिल्या के पुत्र थे और ब्राह्मणों को साथ लेकर विश्वामित्र के पास आए चरण में माता रख दिया बहुत स्वागत सत्कार किया इस समय भगवान विश्वामित्र को फूल लेने गए थे वह लौटकर आए तो जनक जी भाव में डूब गए देखते ही रहे नेत्र बंद नहीं होना चाहते गुरुदेव ने कहा राजन बैठो बोले आप इन बालकों का परिचय कराया यह दोनों सुंदर बालक मुनि कल के तिलक हैं या किसी राजा के बेटे हैं राजकुमार हैं गुरुदेव ने कहा आप तो बड़े ज्ञानी है आप खुद मालूम कर लीजिए अपने ज्ञान के द्वारा उन्होंने कहा मैं कुछ नहीं जानता मैं सब कुछ भूल गया हूं इन्हें देखकर मेरे मन में विराग सहज नहीं होता है मेरे जीवन में अनुराग बढ़ रहा है मुझे लगता है यह पृथ्वी पर साक्षात ब्रह्मा ने अवतार लिया है।
राम कथा में यजमान के रूप में डॉ. जितेंद्र सोलंकी सपरिवार रहे। संजीव गुप्ता अंजू चौहान शीतल राणा शीतल राणा कुशल प्रताप विकास चौहान अलंकार सोलंकी विष्णु गुप्ता,पंकज माथुर, शिवकुमार भारद्वाज,गिरीश पाल सिसोदिया सौरभ राजावत राज साहू अंकित अंकित चौहान आदित्य गुप्ता प्रभा गुप्ताअमर साहू संजय साहू लक्ष्मी गुप्ता अजय कुमार गुड्डी गुप्ता लोकेंद्र गजेंद्र पेंट कौशल सोलंकी प्रियंका सोलंकी कुमरेश मिश्रा कामिनी तिवारी मोना चौधरी राखी साहू भगवान स्वरूप सत्यम दीपेश सौरव अंकित शशांक दयाशंकर उम्मेद सिंह छोटू अंकित आदि आदि सैकड़ो भक्त उपस्थित रहे आरती पूजन विद्वान ब्राह्मण मनोज कुमार शर्मा ने कराया।