*महर्षि पतंजलि द्वारा योगसूत्र में वर्णित पाँच यम के बारे में विस्तार से बताया*

*जिला विकास अधिकारी*

आज विकास भवन स्थित महात्मा गांधी सभागार में जिला विकास अधिकारी भरत कुमार मिश्र ने गाँधी जयंती के अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी की छायाचित्र पर पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण किया। उसके उपरांत उन्होंने सभागार में आए अधिकारियों कर्मचारियों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन पर आधारित बहुत सी कहानियों एवं उनके द्वारा किए गए संघर्षों को बताया गया। अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी इस अवसर पर देश भक्त गीत सुनाए।

जिला विकास अधिकारी भरत कुमार मिश्रा ने बताया कि स्वाधीनता आन्दोलन को नई दिशा और नई गति देने में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का अतुलनीय योगदान रहा है। सत्याग्रह तथा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के माध्यम से उन्होंने सभी वर्गों में आजादी की लौ को प्रज्वलित किया। देश की राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक समरसता के माध्यम से महात्मा गांधी ने राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोकर सशक्त राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस 02 अक्टूबर हमारे देश के उन समस्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं क्रान्तिकारियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का बेहतर अवसर है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की बलिवेदी पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। यह दिन हम सबको राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के आदर्शों , सिद्धान्तों व उनके सदविचारों को अपनाने के साथ ही उनके पदचिन्हों पर चलने का सुअवसर प्रदान करता है।

उन्होंने बताया कि लालबहादुर शास्त्री का जन्म 1904 में मुगलसराय में एक कायस्थ परिवार में मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के यहाँ हुआ था। परिवार में सबसे छोटे होने के कारण बालक लालबहादुर को परिवार वाले प्यार में नन्हें कहकर ही बुलाया करते थे। जब नन्हें अठारह महीने का हुआ दुर्भाग्य से पिता का निधन हो गया। उनकी माँ रामदुलारी अपने पिता हजारीलाल के घर मिर्ज़ापुर चली गयीं। कुछ समय बाद उसके नाना भी नहीं रहे। बिना पिता के बालक नन्हें की परवरिश करने में उसके मौसा रघुनाथ प्रसाद ने उसकी माँ का बहुत सहयोग किया। ननिहाल में रहते हुए उसने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। उनकी साफ सुथरी छवि के कारण ही उन्हें 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने अपने प्रथम संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को बढ़ने से रोकना है और वे ऐसा करने में सफल भी रहे। उनके क्रियाकलाप सैद्धान्तिक न होकर पूर्णत: व्यावहारिक और जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप थे। निष्पक्ष रूप से यदि देखा जाये तो शास्त्रीजी का शासन काल बेहद कठिन रहा। लाल बहादुर शास्त्री जी ईमानदार राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी, जिसका कोई तोड़ नहीं है। अंत में जिला विकास अधिकारी ने ऋषि-मुनियों को याद किया और कहा ऋषि-मुनियों ने भी हमको जीने के सिद्धांत दिए हैं। उन्होंने यम की साधना करना महत्वपूर्ण बताया, उन्होंने महर्षि पतंजलि द्वारा योगसूत्र में वर्णित पाँच यम-अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह शान्डिल्य उपनिषद तथा स्वात्माराम द्वारा वर्णित दस यम-अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य क्षमा धृति दया आर्जव मितहार शौच को विस्तार से बताते हुए अधिकारियों कर्मचारियों से कहा की स्वयं को जानना है तो उक्त का पालन करना चाहिए।

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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