कासगंज। निर्झर साहित्यिक संस्था ने कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिवस पर एक विचार एवं काव्य – संगोष्ठी का आयोजन आवास- विकास कॉलोनी स्थित दीपक सक्सेना के आवास पर वरिष्ठ चिकित्सक डा० सुरेन्द्र गुप्ता की अध्यक्षता एवं डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ के मुख्य आतिथ्य में आयोजित की गई | विशिष्ट अतिथि के रूप में के० ए० महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा० वी के ० तोमर उपस्थित रहे!
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती का पूजार्चन कर दीप प्रज्ज्वलित एवं माल्यार्पण कर कार्यक्रम को उद्घाटित किया गया,तत्पश्चात डा० सुरेन्द्र गुप्ता जी ने बहुत भावपूर्ण शारदे वंदना पढी, “माँ शारदे संवेदना के सिन्धु का वर दीजिये” के साथ कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ | तत्पश्चात ‘मुंशी प्रेमचंद के नारी- पात्रों एवं साहित्य पर कवियों द्वारा सारगर्भित चर्चा की गयी,मुंशी प्रेमचंद जी को ‘कलम के सिपाही’ विशेषण और सम्मान के पीछे के यथार्थ को भी उकेरा गया। संचालन कर रहे अखिलेश सक्सेना ने मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गबन, गोदान,प्रेमाश्रम, कर्मभूमि,रंगभूमि, तथा कहानी दो बैलों की कथा, ईदगाह,नमक का दरोगा,बड़े भाई साहब, पूस की रात, आदि का उल्लेख करते हुए कहा कि मुंशी जी का ये साहित्य पढ़ कर ही हम बड़े हुए और इनका ये साहित्य आज भी हमारा पथप्रदर्शक बना हुआ है।अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। कविताओं के क्रम में मनोज ‘शलभ’ ने प्रेमचंद को संदर्भित भावपूर्ण रचना पढी़ “दर्द लिखा,संवेदना लिखी और चीत्कार लिखा, मुंशी प्रेमचंद ने शोषितों पर अत्याचार लिखा” इसी क्रम में डा० विमलेश अवस्थी ने पढ़ा, “अंतर में भारत बसता था, वे भारत की धड़कन थे ” तत्पश्चात कार्यक्रम संयोजक दीपक सक्सेना ने रचना पढी़, “मुंशी जी ने अपना जीवन बडे़ अभावों में जिया,पर साहित्य सृजन अद्भुत कारीगरी से किया” तत्पश्चात डा० राम प्रकाश ‘पथिक’ ने पढा़, “प्रेमचंद मुंशी हुए, बड़े कहानीकार, आज उन्हीं का जन्मदिन, नमन उन्हें सौ बार” तत्पश्चात मुख्य अतिथि डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ ने बहुत सराहनीय काव्यपाठ किया, उनकी रचना , “ग्राम्य जीवन के चितेरे,दुख सहे तुमने घनेरे” को पर्याप्त तालियां मिलीं। कार्यक्रम का संचालन कर रहे अखिलेश सक्सेना ने पढा़, ” भूख से लड़- लड़ दिन काटे और नींद से जग- जग रातें, जीवन हर दिन जिया कि जैसे कैद उमर की काटें”, कार्यक्रम में वरिष्ठ गीतकार होरी लाल व्यास, सुरेश चन्द्र सक्सेना, मनोज मंजुल, विवेक झा, आदि ने भी सराहनीय काव्य पाठ किया, श्रोताओं के रूप में आर० पी० भारती, सतीश चन्द्र माहेश्वरी,अखिलेश कुमार, के० के० सक्सेना, तन्मय सक्सेना, तृप्ति कुलश्रेष्ठ आदि उपस्थित रहे |अंत में कार्यक्रम संयोजक दीपक सक्सेना ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।