कासगंज : सहावर तहसील में तैनात तहसीलदार संदीप चौधरी का रिश्वत मांगने एवम् गलत कार्य के मामले का चोली दामन का साथ रहा है।उन पर एक बार फिर से तहसील सहावर में कार्य करने के बदले में रिश्वत मांगने की बात सामने आई है। इससे पूर्व में भी अलीगढ़ जनपद की गभाना तहसील में नायब तहसीलदार रहते हुए गड़बड़ी के मामले में इन पर एफआईआर दर्ज है। बाद में स्थानांतरण होकर कासगंज आने पर इन्हे न्यायिक तहसीलदार पटियाली का कार्य मिला लेकिन अपनी जोड़तोड़ से कासगंज सदर तहसील जैसी अति महत्वपूर्ण सीट के तहसीलदार बनें। कासगंज सदर तहसील में भी इन्होंने वही परिपाटी चालू रखी और लोगों वादकारियों से संबंधित काम के बदले रिश्वत लेने एवम मांगने लगे जब बात सामने आई तो सदर तहसील के साथ साथ ज़िला न्यायालय के अधिवक्ताओं ने इनका एवम् नायब तहसीलदार बिलराम अरविंद गौतम का ट्रांसफर न होने तक काफी लंबे समय तक कलम बंद हड़ताल जारी रखी इसका इतना व्यापक असर पड़ा की तहसील में रजिस्ट्री बैनामा,कोर्ट आदि सब होने बंद हो गए मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आने पर जिलाधिकारी सुधा वर्मा ने जनहित को देखते हुए इनका स्थानांतरण जिले की सहवार तहसील में कर दिया। अब एक बार फिर यह सहावर तहसील में भी रिश्वत मांगने के मामले में घिर गए हैं।एक व्यक्ति ने नाम एवम पहिचान न छापने की शर्त पर बताया कि यह स्वयं अन्य संबंधित लोगों के माध्यम से पैसे मांगते हैं।कहा कि हम से भी चालीस हजार रुपए मांगे बात तय हो गई बाद में दस हजार रुपयों की और मांग की जा रही है। सूत्रों के अनुसार कासगंज सदर में तैनाती के समय से ही डीलिंग करने के उद्देश्य से कासगंज शहर की एक निजी कालौनी में किराए का मकान लेकर रह रहे हैं ताकि यहां अपनी सुविधानुसार आराम से लोगों से मिला जा सके। जबकि नियम के अनुसार इन्हे राजस्व ,प्रशासनिक एवम् अन्य गतिविधियों को सकुशल चलाने के लिए तहसील मुख्यालय पर रहना चाहिए।अब चूंकि आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है ऐसे में इन्हे तहसील मुख्यालय पर रहकर कार्य करना चाहिए। जब इन सब विषयों पर इनसे बात की गई तो बताया कि यह सब झूठी बातें हैं हमारा ऐसा कोई मामला नहीं है।

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