15 अक्टूबर को श्रीराम की रावण पर जीत का पर्व विजया दशमी है। मान्यता के अनुसार त्रेता युग में रावण ने सीता का हरण किया और लंका की अशोक वाटिका में देवी को कैद कर रखा था। इसके बाद श्रीराम ने लंका में अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर रावण का वध किया और सीता को स्वतंत्र करवाया था।
रावण को बुराइयों का प्रतीक माना जाता है। रावण की बुराइयों के कारण उसके वंश का नाश हो गया। अहंकार, गुस्सा और काम की वजह से रावण ने अपने कुल को नष्ट करवा दिया। यहां जानिए इन तीन बुराइयों से जुड़े किस्से…
अहंकार की वजह से श्रीराम को समझा सामान्य इंसान
रावण को अपनी शक्तियों पर इतना घमंड था कि वह सभी देवताओं से खुद को श्रेष्ठ समझता था। जब रावण सीता जी का हरण करके लंका ले आया तो उसकी पत्नी मंदोदरी ने उसे बहुत समझाया था कि वह श्रीराम से बैर न करें, लेकिन रावण को खुद पर अभिमान था, इस कारण वह श्रीराम को सामान्य इंसान समझ रहा था।
गुस्से में अपने भाई विभीषण को निकाल दिया था दरबार से
रावण को बात-बात पर गुस्सा आ जाता था। वह गुस्से में सही-गलत बात को भी समझ नहीं पाता था। यही कारण था कि जब विभीषण ने रावण से सीता को लौटाने और राम से क्षमा मांगने की बात कही तो वह क्रोधित हो गया। रावण ये बात सहन नहीं कर सका कि उसके सामने उसके शत्रु की प्रशंसा की जा रही थी। गुस्से में रावण ने विभीषण को लात मारकर दरबार से निकाल दिया। विभीषण श्रीराम की शरण में चले गए। रावण के कई रहस्य विभीषण ने श्रीराम को बताए, जिनकी वजह से उसकी हार हो गई।
रावण महिलाओं पर रखता था बुरी नजर
रावण महिलाओं पर हमेशा बुरी नजर रखता था। रावण ने एक बार रंभा को देखा तो वह उस पर मोहित हो गया। रावण ने उसका रास्ता रोक लिया। रंभा ने प्रार्थना की कि वह उसकी पुत्र वधु के समान है और वह नलकुबेर के यहां जा रही है। नलकुबेर रावण के सौतेले भाई कुबेर के पुत्र थे। रावण ने रंभा की बात नहीं सुनी। जब ये बात नलकुबेर को मालूम हुई तो उसने रावण को श्राप दे दिया किया अब से अगर वह किसी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध स्पर्श करेगा या अपने महल में रखेगा तो वह भस्म हो जाएगा। इसी श्राप की वजह से रावण ने सीता को अपने महल में नहीं, अशोक वाटिका में रखा था। आमतौर पर लोग मानते हैं कि शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का हरण किया था, लेकिन ये बात सच नहीं है, रावण देवी सीता की सुंदरता से मोहित हो गया था, इस वजह से उसने सीता जी का हरण किया था।
सीख – रावण की बुराइयों से हम ये सीख ले सकते हैं कि हमें इन तीनों बुराइयों से बचना चाहिए। जिन लोगों में ये तीन बुराइयां होती हैं, उनका जीवन बर्बाद हो सकता है।