गुरुवार, 4 नवंबर को दीपावली है। सभी लोग चाहते हैं कि देवी लक्ष्मी उनके घर में वास करें, इसी कामना के साथ पूरे विधि-विधान से देवी लक्ष्मी की पूजा दीपावली पर की जाती है। मान्यता है कि प्राचीन समय में इसी तिथि पर समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं।
महाभारत के शांति पर्व में बताया गया है कि देवी लक्ष्मी किन लोगों के घर में वास करती हैं। इस पर्व में देवराज इंद्र और महालक्ष्मी के संवाद हैं। देवी लक्ष्मी ने इंद्र को बताया कि वे किन लोगों के घर में वास करती हैं और किन लोगों का साथ छोड़ देती हैं। जानिए ये पूरा प्रसंग…
एक दिन देवी लक्ष्मी देवराज इंद्र के स्वर्ग लोक पहुंचीं और उन्होंने इंद्र से कहा, ‘अब मैं तुम्हारे स्वर्ग में वास करूंगी।’
इससे पहले लक्ष्मी जी असुरों के यहां वास कर रही थीं। लक्ष्मी जी को देखकर इंद्र ने आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने पूछा, ‘देवी, आप तो असुरों के यहां रहती हैं। मैंने आपसे कितनी बार निवेदन किया कि आप स्वर्ग पधारें, लेकिन आप नहीं आईं। आज आप यहां मेरे द्वार पर किस वजह से आई हैं?’
देवी लक्ष्मी बोलीं, ‘देवराज इंद्र, कुछ समय पहले असुर धर्म के अनुसार कर्म रहे थे, लेकिन अब वे गलत काम करने लगे हैं। जहां प्रेम की जगह ईर्ष्या और क्रोध-कलह आ जाए, अधर्म, दुर्गुण और बुरी आदतें आ जाएं, वहां मैं नहीं रह सकती। असुर इन सब गलत आदतों में लिप्त हो गए हैं।’
लक्ष्मी जी आगे कहती हैं, ‘जो लोग गुरु, माता-पिता और बड़ों का सम्मान नहीं करते, मैं उनके यहां निवास नहीं करती। जो संतान अपने माता-पिता का अनादर करती हैं, मैं उनके यहां निवास नहीं करती।’
महालक्ष्मी ने इंद्र को बताया, ‘मैं वहीं निवास करती हूं, जहां धार्मिक आचरण के लोग रहते हैं। जिस घर के सभी सदस्य पवित्र मन वाले हैं, जो सभी को आदर-सम्मान देते हैं। जिस घर के सदस्य किसी को धोखा नहीं देते, मैं उनके यहां निवास करती हूं। जो व्यक्ति दूसरों की मदद करते हैं, गरीबों को दान देते हैं, अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से करते हैं, वे मेरी कृपा प्राप्त करते हैं।’