BUDAUN SHIKHAR

बदायूँ

जनपद में ग्राम पंचायतों में विकास कार्य ना के बराबर चल रहे हैं, सफाई कर्मी नहीं करते नियमित रुप से काम। गांव गांव में गंदगी के ढेर देखने को मिलते। नालियों में महीनों महीनों की सडी गली कीचड भरी मिलती। चुनाव आचार सहिंता की बजह से यह हालात और बदतर हो गई।

जिले पर अधकारियों के निर्देश तो अखबारों और मीडिया के माध्यम से जाने सुने देखे जा सकते हैं परन्तु यह सारे निर्देश गांव की बदहाली पर कोई असर नही करते।

आज गर्मी के इस मौसम में देहात की तो बात छोडें तो नगर क्षेत्रों में प्याऊ भी टूटे फूटे खराब पडे हैं।

तो वहीं ग्रामीण ऑचल में मनरेगा से तमाम ग्रामपंचायतों में तालाबों की खुदाई सरकारी आंकडों में तो दर्ज हैं लेकिन हकीकत में या तो बने नहीं और बने हैं तो सूखे गड्डों में नजर आते हैं जबकि इस गर्मी के तपती धूप में जानवर, पशु पक्षी प्यास में एक एक बूंद को तरस रहे हैं।

कुल मिलाकर अगर कहें कि आचार संहिता तो खत्म हो गयी लेकिन पंचायत राज विभाग के सचिव और प्रधान सफाई कर्मी ना गांवों में जारहे हैं ना विकास और का कोई काम करा रहे हैं और जिले के उच्चाधिकारी इस तरफ अनदेखी कर रहे हैं। हाल ही में आपने सुना होगा कि संचारी रोगों की रोकथाम हेतु ग्राम पंचायतों के प्रधान और स्वास्थ्य विभाग की आशा के संयुक्त खाते में NCHM  योजना की धनराशि से गली नालियों की सफाई कराने की व्यवस्था हेतु धन भेजा जा चुका है लेकिन किसी भी प्रधान द्वारा ऐसा कोई काम धरातल पर नहीं कराया है।

कहां सो रहा प्रशासन क्या प्रशासन की इस तरह की अनदेखी प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की नीतियों और योजनाओं का वास्तविक क्रियान्वयन संभव है।

 

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