बदायूँ: एक शुद्ध साहित्यिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अवसर था आचमन कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का।आचमन संस्था की ओर से होटल कंट्री इन में आयोजित इस काव्य समारोह में देश के दिग्गज कवि जुटे।

सम्मान समारोह के बाद एक शानदार कविसम्मेलन का आग़ाज़ हुआ। लखनऊ से से पधारे सुप्रसिद्ध कवि सर्वेश अस्थाना के संचालन में चितौड़ से गीतकार रमेश शर्मा ,दिल्ली से श्रीमती प्रमिला भारती,गुड़गाँव से अंकिता सिंह च गंजडुंडवारा से अज़्म शाकिरी,उझानी से टिल्लन वर्मा,इटावा से राम भदावर की ज़ोरदार प्रस्तुति ने श्रोताओं को दाद पर दाद देने के लिए मजबूर कर दिया।
राम भदावर ने अपनी ओजस्वी वाणी से कवि सम्मेलन में देशभक्ति की धारा प्रवाहित कर दी।उन्होंने कहा-इस समय की धार में गोता लगाओ शूरवीरों,
व्यर्थ के अवसाद से दुख ही बढेगा देख लेना।
जो समय पर युद्ध से आबद्ध होगा जय करेगा,
समय उनके नाम पर सोना मढेगा देख लेना।

श्री रमेश शर्मा अपने सादा और सच्चे कहन के लिए जाने जाते हैं।उन्हें ख़ूब मन से सुना गया।उन्होंने कहा-

जब गरजे तब बरसे नही ,उस शाम सी लड़की थी !
उहापोह के निकले हुए , परिणाम सी लड़की थी !
गीत मैं जिस के गाता हूं ,एक आम सी लड़की थी !

इस समय की सर्वाधिक पसंद की जाने वाली कवयित्री एवं अपनी शालीन प्रस्तुति से सबके ह्रदय में जगह बनाने वाली कवयित्री अंकिता सिंह जी शानदार गीतों और मुक्तकों को श्रोताओं ने ख़ूब पसंद किया।उन्होंने कहा –

नदी खारे समंदर के लिए जज़्बात से तर है
समंदर को पता है ये नदी का वो मुक़द्दर है
वफ़ा और बेवफ़ाई की मिसालें है यही दोनों
समंदर की कई नदियाँ,नदी का इक समंदर है !

लखनऊ से आये सर्वेश अस्थाना जी अपने चुटीले अंदाज़ और अद्भुत व्यंग कविताओं की अद्भुत प्रस्तुति देने के लिए जाने जाते हैं।
उनकी हर पँक्ति श्रोताओं के दिल पर लगी।
उन्होंने कहा-

कहते हैं तो कहने भी दो
कहा करें कहने वाले,
मंज़िल तो पा ही जाते हैं
राहों पर चलने वाले।

लाखों विष की फुफकारें
हम झेल गये हंसते हंसते,
हम चंदन की आस्तीन हैं
पला करें पलने वाले।।

गंजडुंडवारा से आये शायर और देश विदेश में अपनी शायरी से धूम मचाने वाले अज़्म शाकिरी को हर शेर पर वाह वाही मिली।उन्होंने कहा-

चिड़िया रोकर कहती है
क्यों बच्चों के पर आये

दिल्ली से आयीं वरिष्ठ कवयित्री प्रमिला भारती हिंदी कविता की सशक्त हस्ताक्षर हैं।एक रिटायर व्यक्ति की व्यथा को उन्होंने अपने गीत के माध्यम से सुना कर सबकी आँखे नम कर दीं।उन्होंने कहा-

नए दौर पर इक सटायर हूँ मैं
मुझे गोद ले लो रिटायर हूँ मै

बदायूँ की सरजमीं का एक भाग कस्बा उझानी है।वहाँ से अपने सामयिक और प्रभावशाली ग़ज़लों और नवगीतों के सशक्त हस्ताक्षर श्री टिल्लन वर्मा को सुनकर श्रोताओं ने उन्हें जम कर दाद दी।उन्होंने एक मार्मिक ग़ज़ल पढ़ी-

बेटी विदा हुई क्या घर से पापा रिश्तेदार हो गये
घर भर की नज़रों में अब वो इक
अंत में जब उदय प्रताप सिंह जी ने माइक हाथ में लिया तो पूरा वातावरण सुगंधित हो गया।उनके छन्द ,ग़ज़ल,वक्तव्य ने समारोह को पूर्णता प्रदान की।श्रोताओं की माँग पर उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविताओं का पाठ किया।

मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय राज्य मंत्री बी.एल.वर्मा जी की उपस्थिति रही।विशिष्ट अतिथि के रूप में बदायूँ सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता , विधान सभा सदस्य वागीश पाठक रहे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि बी.एल. वर्मा ने कहा कि जहाँ आजकल लोग हास्य कवि सम्मेलन को ही सफलता की गारंटी मानने लगे हैं ऐसे में इस तरह का साहित्यिक आयोजन आयोजन नहीं साहित्यिक अनुष्ठान है। उन्होंने डा अक्षत अशेष से कहा कि वे इस दिशा में इसी तरह से वृहद प्रयास कर योजना बनायें, मैं विशेष सहयोग से उस प्रयास को पूरा करने की कोशिश करूंगा। उन्होंने डॉ. सोनरूपा को बधाई और शुभकामनाएँ दीं।
काव्य समारोह का प्रारंभिक संचालन डॉ.अक्षत अशेष ने किया।
इस अवसर पर श्याम जी शर्मा, जेल अधीक्षक विनय कुमार दुबे, डी सी मनरेगा राम सागर यादव, अशोक भारती, डा प्रमेन्द्र माहेश्वरी, ज्योति मेंहदीरत्ता, शारदेंदु पाठक,नरेन्द्र गरल, हसीब सोज, डॉ.गीतम सिंह, डा मधुसूदन अग्रवाल, शरद रस्तोगी, शोभित वैश्य, अनूप रस्तोगी, नितिन गुप्ता, कुलदीप अंगार, मनोज रस्तोगी, सुभाष अग्रवाल, हितेंद्र शंखधार, शुभ्रा गुप्ता, मंजुल शंखधर, कुसुम रस्तोगी, ओमेंद्र प्रताप सिंह, शुभ्रा माहेश्वरी, शलभ वैश्य, अखिलेश कुमार सिंह, प्रदीप शर्मा, नीरज माहेश्वरी, डा चक्रेश जैन, विनय वैश्य, नितिन अग्रवाल, प्रतीश गुप्ता, आशीष सिंघल, विजय शंखधार, नरेश शंखधार, समेत शहर के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
अंत मे कार्यक्रम के आयोजक एवं संयोजक दम्पति विशाल रस्तोगी एवं सोनरूपा विशाल ने अतिथियों के सहयोग और उपस्थिति के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

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