मुंह में छाले होना यूं तो सामान्य बात लगती है, लेकिन कई बार यह समस्या इस कदर बढ़ जाती है कि कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारण बन जाती है। इस समस्या के समाधान के बारे में जानकारी दे रही हैं निधि गोयल
मुंह के छाले यानी माउथ अल्सर यूं तो एक बहुत ही सामान्य परेशानी है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना जानलेवा भी साबित हो सकता है, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनका सही उपचार इनसे मुक्ति दिला सकता है।
ये हैं लक्षण
– मुंह में अल्सर होने से खाते-पीते समय बहुत ज्यादा दर्द होता है।
– व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगता है।
– हमेशा थकान महसूस होने लगती है।
– मुंह के घाव में लालिमा नजर आने लगती है।
कारण को जानें
– जरूरी नहीं कि जिस कारण से किसी एक व्यक्ति को छाले हुए हों, दूसरे व्यक्ति को भी उसी कारण से हों। कई बार पेट की गर्मी से भी ऐसे छाले हो जाते हैं।
– अत्यधिक मिर्च-मसालों का सेवन भी इसके लिए जिम्मेदार होता है, क्योंकि यदि पेट की क्रिया सही नहीं है, तो उसकी प्रतिक्रिया मुंह के छालों के रूप में प्रकट हो सकती है।
– कई बार कोई चीज खाते समय दांतों के बीच जीभ या गाल का हिस्सा आ जाता है, जिसकी वजह से छाले उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे छाले आमतौर पर मुंह की लार से खुद ही ठीक हो जाते हैं।
– एलोपैथिक दवाओं के दुष्प्रभाव से भी मुंह में छाले हो सकते हैं, विशेषकर लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करने से। अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने से हमारी आंतों में अच्छे जीवाणुओं की संख्या घट जाती है। नतीजतन मुंह में छाले पैदा हो जाते हैं।
– दांतों की गलत संरचना की वजह से मुंह में छाले होना आम बात है। यदि दांत आड़े-तिरछे, नुकीले या आधे टूटे हुए हैं और इसकी वजह से वे जीभ या मुंह में चुभते हैं या उनसे लगातार रगड़ लगती रहती है, वहां छाले उत्पन्न हो जाते हैं। यदि कोई तीखा दांत लंबे समय तक जीभ या गाल से घर्षण करता रहे या चुभता रहे, तो यह आगे चलकर कैंसर का कारण भी बन सकता है। यानी इसकी पूरी जांच और उपचार जरूरी हो जाता है।
– सुपारी आदि खाने के बाद बिना कुल्ला किए रात को सो जाने से भी छाले हो जाते हैं। इसके अलावा तंबाकू, पान-मसाला और धूम्रपान भी मुंह के छालों का कारण बनते हैं।
– मानसिक तनाव भी एक वजह है मुंह के छालों की। यह तनाव चाहे परीक्षा का हो या नौकरी में काम के दबाव का या अन्य किसी अन्य बात का।
– यदि छाले कैंसर में बदल जाते हैं, तो शुरू-शुरू में उनमें कोई दर्द नहीं होता, लेकिन बाद में थूक के साथ खून आना भी शुरू हो सकता है। यहां तक कि खाना निगलने में भी परेशानी का अनुभव होने लगता है।
वंशानुगत भी हो सकते हैं छाले
कुछ बीमारियां भी मुंह में छाले पैदा कर सकती हैं, जैसे हर्पीज संक्रमण या बड़ी आंत की सूजन। इसके अलावा ये छाले वंशानुगत भी हो सकते हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी की वजह से भी हो सकते हैं।
क्या है निदान
– यदि छाले सामान्य हैं, तो विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स तथा फॉलिक एसिड की गोलियां दो तीन दिन तक लेने से ठीक हो जाते हैं।
– छालों पर लगने वाले दर्द निवारक लोशन भी बाजार में मिलते हैं। इनके प्रयोग से तुरंत राहत मिलती है। इसके अलावा बोरो ग्लिसरीन भी लगाई जा सकती है या पोटैशियम परमैग्नेट के घोल से कुल्ले करना चाहिए।
– यदि छालों की वजह से कब्ज हो, तो ईसबगोल की एक चम्मच भूसी रात को लेनी चाहिए।
– यदि दांतों के तीखेपन की वजह से छाले होते हों, तो उन्हें घिसवा लेना चाहिए। यदि डॉक्टर उस दांत को निकालने का परामर्श दे, तो निकलवाने में कोई हर्ज नहीं है।
– आड़े-तिरछे दांतों को ठीक करने के लिए बांधे गए तारों की वजह से भी मुंह में छाले हो सकते हैं, क्योंकि ये बार-बार मसूढ़ों से टकराते हैं।
– छाले होने पर गर्म चाय-कॉफी तथा मिर्च-मसालों का सेवन न करें, क्योंकि इनसे तकलीफ बढ़ सकती है।
– अधिक कठोर टूथब्रश के इस्तेमाल से भी मसूढ़े छिल जाते हैं या उनमें घाव हो जाते हैं। इसलिए हमेशा मुलायम ब्रश का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
– याद रखें, यदि कोई भी छाला सप्ताह भर में ठीक न हो, तो उसे गंभीरता से लें तथा डॉक्टर से मिलें।
– छालों से बचने के लिए मुंह और पेट की स्वच्छता का ध्यान रखें। मौसम के प्रभाव से भी मुंह में छाले हो जाते हैं, जैसे बहुत अधिक गर्मी।
कैसे करें उपचार
– माउथ अल्सर के मरीजों को खाने में विटामिन-सी का प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए आप दो-तीन गिलास संतरे का जूस प्रतिदिन पिएं। आप टमाटर से भी विटामिन-सी प्राप्त कर सकते हैं।
– जितना हो सके, ज्यादा मसालेदार और तले-भुने खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
– ज्यादा फलों का सेवन करें, खूब पानी पिएं।
– दिन में दो से तीन बार गरारे करें।
– तुलसी के कुछ पत्ते चबाएं, राहत मिलेगी।
– छालों की जलन कम करने के लिए ग्लिसरीन में हल्दी का पाउडर मिलाकर अल्सर वाली जगह पर मालिश करें।
तीन प्रकार का होता है माउथ अल्सर
गंभीर अल्सर
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि आमतौर पर होने वाले अल्सर से यह आकार में बड़ा होता है। यह गंभीर अल्सर 10 में से एक व्यक्ति को ही होता है। लेकिन जब आपको पता चले कि आपको गंभीर अल्सर है, तो तुरंत किसी अच्छे विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
सामान्य अल्सर
अल्सर से पीड़ित होने वाले ज्यादातर लोग सामान्य अल्सर से ही प्रभावित होते हैं। इसके नाम से भी स्पष्ट है कि यह आकार में ज्यादा बड़ा नहीं होता और लगभग 10 दिन में ठीक भी हो जाता है।
हेरपेटीफर्म अल्सर
हेरपेटीफर्म अल्सर का दूसरा नाम पिनप्वाइंट अल्सर भी है। यह लगभग तीन मिलीमीटर आकार का होता है। आमतौर पर 10 से 40 वर्ष के लोगों को प्रभावित करने वाले इस अल्सर से मात्र 10 प्रतिशत लोग ही प्रभावित होते हैं। यह बच्चों और बुजुर्गों में न के बराबर ही होता है।