40 के ऊपर की महिलाएं पहले जैसा अपना ध्यान नहीं रखतीं। लेकिन उम्र बढऩे के साथ खुद को हेल्दी और फिट रखना जरूरी है। ऐसे में इस उम्र की महिलाओं के लिए कुछ टेस्ट बताए गए हैं, जो उन्हें रैगुलर कराने चाहिए।

उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कई तरह के परिवर्तन होने लगते हैं। शरीर पहले जैसा फुर्तीला और दुरूस्त नहीं रहता। ये ऐसे बदलाव हैं, जो उम्र बढ़ने पर आमतौर से दिखाई देते हैं। लेकिन जो बदलाव कोई नहीं देख पाता, वो हैं हार्मोन और तनाव का स्तर।

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है ये दोनों ही हमारे आंतरिक तंत्र पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। महिलाओं के लिए ये स्थिति और भी बदतर है। क्योंकि इसी उम्र में पेरिमेनोपॉज की शुरूआत उन्हें बीमारियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना देती है। हृदय रोग, ब्रेस्ट कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस ऐसी समस्याएं हैं, जो महिलाओं में 40 की उम्र के बाद विकसित होती हैं। ऐसे में रेगुलर हेल्थ टेस्ट से गंभीर संक्रमण के जोखिम को कम करने के साथ बीमारी का पता लगाया जा सकता है। यहां हम आपको ऐसे 8 टेस्ट बता रहे हैं, जो हर महिला को 40 के बाद कराने चाहिए।

​ब्रेस्ट कैंसर की जांच कराना जरूरी

डॉक्टर्स 40 के बाद सभी महिलाओं को नियमित रूप से ब्रेस्ट टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रभावित करने वाले दो सामान्य कैंसर हैं। ये उम्र के साथ जोखिम को बढ़ाते हैं। दो सप्ताह में एक बार घर पर ही सेल्फ ब्रेस्ट टेस्ट करें। यह शुरूआती स्टेज में ही गांठ को बनने से रोकने में मदद करेगा। इन दो प्रकार के कैंसर से बचने के लिए साल में एक बार पैप स्मीयर और मैमोग्राम टेस्ट जरूर कराना चाहिए।

​जरूर करानी चाहिए ब्लड प्रेशर की जांच

उम्र बढ़ने के साथ ब्लड प्रेशर का बढ़ना भी आम है। मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं में अक्सर ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। जिस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो दिल का दौरा और स्ट्रोक होने का खतरा रहता है। अपने आहार और जीवनशैली में बदलाव करके ब्लड प्रेशर को कम करना आसान है।

नियमित व्यायाम करने से भी ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। इसलिए 40 के बाद महिलाओं को बीपी चैक कराते रहना चाहिए। गंभीर मामलों को दवाओं से ही ठीक किया जा सकता है।

​कोलेस्ट्रॉल टेस्ट कराएं

कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल एक तरह का ब्लड टेस्ट है, जिसे कराने से ह्दय रोग और स्ट्रोक के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है। हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल के कारण ह्रदय से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। यदि आपका कोलेस्ट्रॉल हाई रहता है, तो सबसे पहले अपने आहार में बदलाव करना शुरू करें। डॉक्टर्स के अनुसार 30 के बाद महिलाओं को हर पांच साल में कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच करानी ही चाहिए। बता दें कि कोलेस्ट्रॉल लेवल आदर्श रूप से 200 मिग्रा प्रति डेसीलीटर से कम होना चाहिए।

​ब्लड शुगर लेवल टेस्ट

जो लोग 20 और 30 की उम्र में स्वस्थ खाने की आदतों को लेकर लापरवाह हैं, उन्हें इसका हर्जाना 40 की उम्र के बाद भुगतना पड़ता है। इन अस्वस्थ आदतों के चलते 40 की उम्र में डायबिटीज का खतरा बढऩे की संभावना ज्यादा होती है। बता दें कि लंबे समय तक खराब खाना खाने और वजन बढ़ने से पैन्क्रियाज पर असर पड़ता है, जो ब्लड शुगर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। ब्लड शुगर लेवल के लिए टेस्ट कराना डायबिटीज को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है।

​ऑस्टियोपोरोसिस की जांच

उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का घनत्व और उनमें ताकत कम होनी लगती है। इससे हड्डियों का ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है। नतीजा, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे चोट या फैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। बता दें कि पुरूषों की तुलना में महिलाओं में ऑस्टियोपोरासिस की शिकायत ज्यादा होती है। ऐसे में DEXA स्कैन आपकी हड्डियों के घनत्व की पहचान करने में मदद करता है।

​थायरॉइड टेस्ट

वजन बढ़ना, बालों का झड़ना, टूटते हुए नाखून और थकान लगना आदि 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं की कुछ आम शिकाएतें बन जाती हैं। इसका एक सामान्य कारण अंडर एक्टिव थायराइड या हाइपोथायरायडिज्म है। यह ग्रंथि हार्मोन T3, T4 और TSH का स्राव करती है, जो शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। इनमें से कोई भी परिवर्तन शरीर में गंभीर परिवर्तन उत्पन्न कर सकता है। महिलाओं को 40 साल की उम्र के बाद 3 साल में एक बार यह टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

​पेल्विक परीक्षण और पैप स्मीयर

40 वर्ष की आयु तक पहुंचने के बाद, आपको अपना एक संपूर्ण पेल्विक परीक्षण, पैप स्मीयर और एचपीवी का परीक्षण करवाना चाहिए। भारत में ज्यादातर महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर मौत का एक प्रमुख कारण है। हाल ही में सर्वाइकल कैंसर का टीका भी निकाला गया किया गया है।

 

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