नई दिल्ली, एजेंसी : पिछले दिनों सामने आए बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स ऐप का मामला शुक्रवार को राज्यसभा में उठा। भाजपा सांसद सुशील मोदी द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ शब्दों में कहा कि महिलाओं की अस्मिता की रक्षा करना हमारा मूल दायित्व है, इससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा। फिर महिलाएं चाहें किसी भी धर्म या क्षेत्र की हों।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि इन ऐप को लेकर जो भी मामले सामने आए, उनमें त्वरित कार्रवाई की गई। उन्होंने विपक्ष को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब भी सरकार सोशल मीडिया को जिम्मेदार बनाने के लिए कोई कदम उठाती है तो वह अभिव्यक्ति की आजादी के हनन का आरोप लगाता है, यह सही नहीं है। हमें दोनों के बीच संतुलन रखना होगा।
क्या है ‘बुल्ली बाई’ ऐप विवाद?
– बुल्ली बाई(Bulli Bai App) लोगों को बरगलाने और वित्तीय लाभ कमाने के लिए देश भर में एक संदिग्ध समूह (उनमें से अधिकांश की पहचान अभी बाकी है) द्वारा विकसित एक ऐप है।
– एप को बनाने के पीछे का मकसद भारतीय महिलाओं (ज्यादातर मुस्लिम) की नीलामी के लिए रखना और बदले में पैसा कमाना है।
– ‘बुल्ली बाई’ एप माइक्रोसॉफ्ट के मालिकाना हक वाली ओपन सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट साइट GitHub पर बनाया गया था।
– बुल्ली बाई जैसी घटनाओं में, साइबर अपराधी इंटरनेट से लोकप्रिय महिलाओं, सेलेब्स, प्रभावशाली लोगों, पत्रकारों आदि की तस्वीरें लेते हैं और उनका उपयोग अपने वित्तीय लाभ के लिए करते हैं।
– ये ऑनलाइन स्कैमर्स सोशल मीडिया अकाउंट से इन महिलाओं की तस्वीरें चुराते हैं और उन्हें प्लेटफॉर्म पर लिस्ट कर देते हैं। इसलिए इन महिलाओं को हमेशा अपनी प्रोफाइल को लॉक करके रखना चाहिए या अपनी प्रोफाइल को प्राइवेट रखना चाहिए।
– एप पर प्रोफाइल में पीड़ितों की फोटो और दूसरे पर्सनल डिटेल शामिल थे, जो महिलाओं की सहमति के बिना बनाई गई और शेयर किए जा रहे थे।
– ट्विटर पर बुल्ली बाई एप से कई पोस्ट शेयर होने के तुरंत बाद, सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ऐसे अपमानजनक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया।