नयी दिल्ली, एजेंसी : राज्यसभा में माकपा नेता के सोमप्रसाद ने शुक्रवार को देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर गहरी चिंता जताते हुए केंद्र सरकार पर संघवाद की भावना के विरुद्ध काम करने और राज्यों के प्रशासन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।

राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य के सोमप्रसाद ने कहा कि अभिभाषण में भारत की एक बहुत ही बेहतर और आशाजनक तस्वीर पेश करने का प्रयास किया गया है किंतु वास्तविकता बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा कि अभिभाषण में देश की राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक वास्तविकताओं का उल्लेख नहीं किया गया है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर संघवाद की भावना के विरूद्ध एकपक्षीय ढंग से फैसले करने और राज्य सरकारों के अधिकारों पर रोक लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल अधिकतर समय केंद्र सरकार के राजनीतिक हितों के अनुरूप काम करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि इसका सबसे ताजा उदाहरण तमिलनाडु है।

सोमनाथ का संकेत तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा नीट परीक्षा से संबंधित राज्य विधानसभा से पारित कानून को वापस लौटाये जाने की तरफ था।

माकपा नेता ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएसएस) के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर केंद्र का फैसला इस बात का उदाहरण है कि कैसे केंद्र सरकार राज्यों के प्रशासन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करती है। उन्होंने मांग की कि सरकार को इस प्रकार का असंवैधानिक कदम वापस लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अभिभाषण में महामारी को लेकर कई बातें कहीं गयीं किंतु वास्तविकता यह है कि सरकार स्थिति से निबटने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने कहा कि सही समय पर ऑक्सीजन और दवाएं नहीं मिलने के कारण कई बच्चों तक की जान गयी।

सोमप्रसाद ने कहा, ‘‘हम गंगा में बहती लाशों के दृश्य…शवदाह गृहों के बाहर लंबी कतारों को कैसे भूल सकते हैं?’’ उन्होंने कहा कि देश में करीब 100 करोड़ लोगों को एक साल के भीतर टीके की 115 करोड़ खुराक लगा देना, कोई बड़ी बात नहीं है, यह काम जल्दी किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकार इस अवधि में देश की पूरी आबादी को टीके की दोनों खुराक देने में विफल रही है।

उन्होंने कहा कि अभिभाषण में महामारी के दौरान अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की सराहना की गयी है। उन्होंने कहा कि प्रश्न यह उठता है कि सरकार ने उनकी सुरक्षा, उन्हें बीमा मुहैया कराने, उनको आर्थिक लाभ देने के लिए क्या किया? उन्होंने कहा कि इस प्रश्न का जवाब है, कुछ नहीं।

माकपा नेता ने दावा किया कि महामारी के दौरान सरकार ने अपनी जनविरोधी नीतियों को लागू करने में कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्यवृद्धि और विनिवेश इसका सबसे बढ़िया उदाहरण हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मुनाफे में चलने वाली सार्वजनिक कंपनियों के शेयर बेचकर उसका पैसा उन निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने में लगा रही है जो घाटे में चल रही हैं।

उन्होंने रसोई गैस की कीमतों में होने वाली वृद्धि और बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे देश के लोगों, विशेषकर महिलाओं को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सोमप्रसाद ने कहा कि सरकार जहां सरकारी विभागों में खाली पड़े पद नहीं भर रही, वहीं सार्वजनिक उद्यमों के विनिवेश से रोजगार के अवसर भी घट रहे हैं। उन्होंने कहा कि विनिवेश होने के बाद पीएसएयू में आरक्षण समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र में आरक्षण पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

 

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