नई दिल्ली, एजेंसी। भारत दुश्मनों के ड्रोन हमलों का अपनी स्वदेशी ड्रोन रोधी प्रणाली के जरिये मुंहतोड़ जवाब देगा। देश की सुरक्षा को और मजबूत करने तथा ड्रोन हमलों के खिलाफ अभेद्य सुरक्षा के मकसद से जल्द तीनों सेनाएं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित और बीईएल द्वारा निर्मित ड्रोन रोधी प्रणाली का इस्तेमाल करेंगी। इसके लिए तीनों रक्षा बलों ने डीआरडीओ द्वारा विकसित ड्रोन रोधी प्रणाली हासिल करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
आपातकालीन प्रक्रियाओं के तहत इन प्रणालियों को प्राप्त करने की आवश्यकता जम्मू आतंकवादी (27 जून) हमले के बाद महसूस की गई थी, जिसमें जम्मू एयरबेस पर विस्फोटक गिराने के लिए दो से तीन छोटे ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। सुरक्षाबलों के लिए विकसित हो रहे एंटी ड्रोन सिस्टम को सॉफ्ट और हार्ड दोनों तरह की मारक क्षमताएं दी जा रही हैं।
माइक्रो ड्रोन का तुरंत पता लगा सकता है डी4 सिस्टम
डीआरडीओ ने कहा कि डी4 सिस्टम माइक्रो ड्रोन का तुरंत पता लगा सकता है और उसे जाम कर सकता है और लक्ष्यों को समाप्त करने के लिए एक लेजर-आधारित मार तंत्र का उपयोग कर सकता है। ये सामरिक नौसैनिक प्रतिष्ठानों के लिए बढ़ते ड्रोन खतरे के लिए एक प्रभावी रक्षा विकल्प होगा।
एंटी-ड्रोन सिस्टम तेजी से उभरते हवाई खतरों से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों को ‘सॉफ्ट किल’ और ‘हार्ड किल’ दोनों विकल्प प्रदान करती है। सॉफ्ट किल सिस्टम आने वाले ड्रोन को मिसगाइडेड कर देता है, वहीं हार्ड किल सिस्टम ऐसे ड्रोन्स को वहीं तबाह कर सकता है।