नई दिल्ली, एजेंसी : वर्ष 1999 में बिहार के सेनारी नरसंहार मामले में 13 दोषियों को बरी करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का निर्णय लिया है। इस मामले में माओवादियों ने उच्च वर्ग के 34 लोगों की हत्या कर दी थी, सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया गया था। ट्रायल कोर्ट ने 13 में से 10 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी और तीन को आजीवन कारावास की सजा हुई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने सभी को बरी कर दिया था।  बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक की मांग करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत से मामले के निपटारे तक सभी 13 को आत्मसमर्पण करने की मांग की है।

18 मार्च 1999 को सेनारी हत्याकांड ने बिहार समेत पूरे देश को झकझोर दिया था। यहां सवर्ण समाज से जुड़े 34 लोगों को निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया गया था। मामले में आरोपी बनाए गए ज्यादातर लोग भाकपा (माओवादी) से जुड़े थे। सेनारी में नक्सली 18 मार्च को एक जाति विशेष के लोगों को घरों से उत्तर सामुदायिक भवन के पास ले गए थे। वहां उनकी गर्दन रेतकर हत्या कर दी गई थीं। नरसंहार के बाद सरकार ने इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया था।

कई गवाहों की हो चुकी है मौत

हत्याकांड में अपने बेटे और पति को गवाने वाली वादी चिंता देवी के बयान पर गांव के 50 से अधिक लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। जिला अदालत में मुकदमा लंबे समय तक चला। हालांकि, इस दौरान वादी चिंता देवी की मौत हो गई। इसके अलावा चार आरोपियों की भी मौत हो चुकी है।

 

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